Chairman Message - Aditi Global Academy, Athwas, Rajasthan

नमस्कार,

जिन दिनों मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, उसी समय से लगातार अपने आसपास के परिदृष्य को देख कर मैं आसानी से अनुमान लगा सकता था कि ग्रामीण और शहरी विद्यार्थियों के बीच एक गहरी खाई होती है। अपने प्रोफेशनल और निजी जीवन में हर समय इस खाई को कभी बढ़ते, कभी कम होते और कभी अधिक फैलते देख रहा हूं। ग्रामीण पृष्ठ भूमि का होने के नाते मुझे पता है कि आत्मविश्वास की  कमी इस खाई का मूल आधार रहा है। आत्मविश्वास के अभाव के साथ ही भीतर एक कुंढा जन्म लेती है। वह कुंढा हमें जीवन में किसी भी क्षैत्र में आगे बढ़ने से रोकती है। मुझे हमेशा यह तकलीफ रही कि अपनी असीम प्रतिभा के बावजूद निर्णायक जगहों पर ग्रामीण बच्चे क्यों पिछड़ जाते हैं?

उनके लिये क्यों शिक्षक, आर्मी ऑफिसर, फोजी, नर्स, कम्पाउडर, सिक्योरिटी गार्ड, मोटर मिस्त्री, विदेशों में हेल्पर जैसी साधारण एवं अल्प आय वाली ही नौकरियां ही क्यो लक्ष्य बन जाती है। वे बड़ें ओहदों पर जैसे कलेक्टर , न्यायाधीश, सीए,  इंजिनियर, डाॅक्टर क्यों नही पहुंचते? वे दुसरे लोगों को नौकरियां देने का हौंसला क्यों नही पैदा करते? इन बच्चों के भीतर यदि हम बडे़ सपने देने का आत्मविश्वास भर दें तो कोई उन्हें रोक नहीं सकता। हमारे सामने ग्रामीण प्रतिभाओं  के उदहारण रहे हैं जिन्होने अपने सपनो के दम पर वो मुकाम हासिल किया है।

मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि अदिति ग्लोबल एकेडमी के बच्चे सबसे अलग होगें।

अदिति ग्लोबल एकेडमी की विशेषतायें—–

  1.  पहला सुख निरोगी काया। हमारे स्कूल के बच्चे कभी बीमार नहीं होंगे। प्रकृति सें बच्चें स्वस्थ रखेंगे।
  2. गणित और अंग्रेजी दो ऐसे विषय है, जिनके डर सें ग्रामीण प्रतिभाओं पर हमेशा दबाव बनता आया है। आदिति ग्लोबल एकेडमी इन दोनो विषयों पर विशेष ध्यान देगी। मैरा अपना व्यक्तिगत विचार है कि जिन बच्चों को अंग्रेजी  व गणित पर मास्टरी है उनको भविष्य में अच्छी सर्विस मिलेगी। कोई भी बच्चा बेरोजगार नहीं रहेगा।
  3. बच्चे को दण्ड देना कानूनन अपराध है लेकिन आमतोर पर अनुशासन के नाम पर विद्यालय छूट ले लेते हैं अभिभावक छूट दे देते हैं। हमारें यहां दण्ड नहीं दिया जायेंगा। मुझे लगता है ये मासूम फूल हैं। इन्हे छूने से इनका अपमान होता है। स्वाभिमान को चोट लगती है, वे आत्मविश्वास खो देते हैं। मैं तो आप अभिभवकों से आग्रह करूंगा कि आप घर पर भी यही निति अपनाएं तो हमारे लिये और भी आसान होगा। ‘भय बिन होय ना प्रीत‘ की कहावत अपने बच्चों पर लागू ना करें।
  4. कमजोर बच्चों की सुधार की जिम्मेदारी शिक्षकों की होगी।

नये सत्र की शुभकामनायें।

इंजि. भागीरथ सिंह ढ़ाका

(चेयरमैन अदिति ग्लोबल एकेडमी)

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